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तुझे यार कहूँ या प्यार कहूँ

तुझे यार कहूँ या प्यार कहूँ
या अपने दिल का मैं खून करूँ
शायद ऐसा कभी होगा नहीं
दिल की बात लब पर नहीं
मैंने जब-जब भी तुझे देखा है
अपनी नजरों से निरेखा है
तू पास मेरे रह जाती हो
मेरे स्वप्नों को तू सजाती हो
लेकिन मैं हूँ मजबूर यहाँ
पास होकर भी तुमसे दूर यहाँ
जीवन की आपाधापी में
तुम्हें वरदान कहूँ या उपहार कहूँ
तुझे यार कहूँ या प्यार कहूँ
या अपने दिल का मैं खून करूँ

जब अनगिनत घड़ियां सोती है
तब तेरी कहानी रचता हूँ
जब दीर्घ मौन मैं हो जाऊँगा
उस पल की यादें रचता हूँ
एक पल को पूरा जीवन कहता
जीवन को पल-पल रचता हूँ
पल-पल जीवन में सौ कहानी
कहानी का कल मैं रचता हूँ
जीवन के इस नए कहानी को
मतलब मैं लिखूँ या बेकार लिखूँ
तुझे यार कहूँ या प्यार कहूँ
या अपने दिल का मैं खून करूँ

यह बंधन प्यारा टूटे न
मेरी मौन कभी भी टूटे न
पग-पग पर विस्वास जो हैं
वह विस्वास कभी भी रूठे न
चलता समर में एक दिन मैं भी
इसमें तलवार मेरी कभी टूटे न
मेरा यार कभी भी रूठे न
दिल से प्यार कभी भी छूटे न
किया कठोर हृदय अपना मैं
मगर डोर साँस का टूटे न
छोड़ घर-बार परिंदे अपने
मैं खुद को और कितना बर्बाद करूँ
तुझे यार कहूँ या प्यार कहूँ
या अपने दिल का मैं खून करूँ

हाँ, अपने दिल का खून करो
जिससे विस्वास अडिग रहता है
अपने लब को चुप करो
जहाँ शब्द स्फुटित रहता है
आगे की जीवन नैया को
मैं कैसे अब पार करूँ
तुझे यार कहूँ या प्यार कहूँ
या अपने दिल का मैं खून करूँ

Comments

  1. तुम प्रगतिपथ के अग्र अनुयायी हो
    मौन जीवन की मधुर-सी शहनाई हो
    ये दर्द कलरव की अमिट गाथा ही है
    तुम उज्जवल भविष्य की अंगडाई हो

    ReplyDelete
    Replies
    1. जाने मैं क्या हूँ खुद में, खुद भी जान नहीं पाया
      प्यार मुझे किस बात से है, आखिर तक पहचान न पाया

      Delete

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