कैसे कहूँ
मुझे प्यार है तुमसे
डरता बहुत हूँ, खो देने से
किस मुँह से कहूँ
मुझे प्यार है तुमसे
डरता बहुत हूँ, तुमसे
अगर कह भी दिया तो वह
मेरे जिंदगी के शायद
आखिरी शब्द होंगे
इसलिए डरता हूँ
मार देता हूँ खुद को खुदगर्जी में
ढाँप लेता हूँ आँखों को तुमसे
जो बहुत कुछ बताना चाहती हैं तुम्हें
रोक लेता हूँ होंठ को किसी हिटलर की तरह
ताकि बुदबुदा न सके कभी
कोई प्यार के नग़मे
रोक लेता हूँ उंगलियों को उस तानाशाह की तरह
ताकि वह कर सकें न कोई गुस्ताखी
और उलझ जाय न
रेशमी बालों में
जहाँ भटकना चाहता है हरपल
मगर सम्भल जाता हूँ मैं
सम्भाल लेता हूँ खुद को
क्योंकि तुम्हारा दोस्त
मजबूत बहुत है
हाँ... हाँ मजबूत बहुत है
बाहर से
बहुत निर्बल है वह
अंदर से
इसलिए टूटना चाहता नहीं दोबारा
लेकिन कोई बात नहीं
युग बीतेगा,
उम्र बढ़ेगी
जिंदगी कम होगी
परन्तु एक चीज
जो सदैव ठहरी होगी
वह है दिल मेरा
जो कभी न गुनगुनयेगा
तेरे प्यार के नग़मे
अपने होठों से
मुझे प्यार है तुमसे
डरता बहुत हूँ, खो देने से
किस मुँह से कहूँ
मुझे प्यार है तुमसे
डरता बहुत हूँ, तुमसे
अगर कह भी दिया तो वह
मेरे जिंदगी के शायद
आखिरी शब्द होंगे
इसलिए डरता हूँ
मार देता हूँ खुद को खुदगर्जी में
ढाँप लेता हूँ आँखों को तुमसे
जो बहुत कुछ बताना चाहती हैं तुम्हें
रोक लेता हूँ होंठ को किसी हिटलर की तरह
ताकि बुदबुदा न सके कभी
कोई प्यार के नग़मे
रोक लेता हूँ उंगलियों को उस तानाशाह की तरह
ताकि वह कर सकें न कोई गुस्ताखी
और उलझ जाय न
रेशमी बालों में
जहाँ भटकना चाहता है हरपल
मगर सम्भल जाता हूँ मैं
सम्भाल लेता हूँ खुद को
क्योंकि तुम्हारा दोस्त
मजबूत बहुत है
हाँ... हाँ मजबूत बहुत है
बाहर से
बहुत निर्बल है वह
अंदर से
इसलिए टूटना चाहता नहीं दोबारा
लेकिन कोई बात नहीं
युग बीतेगा,
उम्र बढ़ेगी
जिंदगी कम होगी
परन्तु एक चीज
जो सदैव ठहरी होगी
वह है दिल मेरा
जो कभी न गुनगुनयेगा
तेरे प्यार के नग़मे
अपने होठों से
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