चित्रगुप्त बोले इंद्र से हमारी टेक्नोलॉजी का डेट लास्ट हैं
भगवन जरा धरती पर झांकिए, कम्युनिकेशन कितना फ़ास्ट हैं
इंद्र बोले चित्रगुप्त जी आपने, बात पते की बोली है
पहली बार देव् हित में, मुँह आपने खोली हैं
तुरन्त बुलाइये नारद को, धरती पर पेठाया जाय
अपने काम के ख़ातिर, दो-चार मोबाइल मंगाया जाय
नारद पहुँचे झाल बजाते, भगवन आपने बुलाया है
कहिये क्या परेशानी है, हमको याद फरमाया है
सुनिए नारद जी धरतीलोक में, मोबाइल का उपयोग है
हम सन्देश आपसे भेजते, उधर जीमेल का प्रयोग है
फटाफट जाइये, मोबाइल लाइये, सिम लाइयेगा साथ में
टावर पकड़ाने ख़ातिर, एक दो ठो टावर उखाड़े लाइएगा हाथ में
नारद आये मोबाइल खरीदे, लगे सिम की लाइन में
आधार कार्ड बनवाये नहीं है, काम चला ल चचा साइन से
दुकानदार पक्का भक्त था, नारद को पहचान गया
सिम देने के बदले में, पर सिम एक वरदान माँग गया
लफड़ा मोल नहीं लेना था, झटपट नारद मान गए
सिम के बदले स्वर्ग ले जाने का, दुकानदार से ठान गए
टावर उखाड़ कर चल दिये, इंद्रपुरी की ओर
टावर से लिपटा प्रेमी, दौड़ा नारद की ओर
कौन हो, क्या करें हो, यह टावर कहाँ ले जाओगे
अपनी रामकली से कैसे चैट करूँगा, हमको जरा बतलाओगे
रामकली हो कृष्णकली, अब दूसरे टावर के पास से बतियाना तुम
उठा के पटक दूँगा, कदम अगर उठा के हमरे तरफ बढ़ाया तुम
डरकर भगा, प्रेमी बेचारा दूसरे टावर पर लटका है
रामकली, मोहन की हो ली, अजब-गजब का फ़टका है
खैर टावर लग गया, सिम सेट हुआ, इंद्रपुरी में खुशियाँ छाई
अभी अम्बानी को यह बात धीरे से, कान में किसी ने बतलाई
जिओ लेकर दौड़ा अम्बानी, खास ऑफर के साथ
399 में 84 gb मुफ्त के संग, अनलिमिटेड कीजिये बात
ऑफर सस्ता देख इंद्र ने फौरन, सारे सिम बदलवाई
तो इस तरह से अम्बानी ने जिओ, इंद्रपुरी तक पहुँचाई
नम्बर को लेकर हुआ झमेला, सबको न० खास चाहिए
एक हजार आठ न० पर बात बनी, सबको कोड पास चाहिए
इंद्र के लिए एक दबाए, दो न० पर माता लक्ष्मी है
तीन पर ब्रह्मा बात करेंगे, चार पर सरस्वती है
पाँच विष्णु, छः चित्रगुप्त, सात पर बाबा भोले है
आठ पर रहेंगी दुर्गा माई, नौ न० वाले नारद बाबा बोले है
एक दिन बैठे बैठे राम ने, फोन किया बजरंगबली को
न० गलती से दब गया उल्टा, लग गया मौला अली को
खैर दोनों ने कुशल क्षेम पूछ, खूब ठाठे लगाए
अंत में बात करते करते दोनों, मुद्दे की बात पर आए
आपको बैर न मुझसे है, मुझको बैर न आपके नाम से
फिर धरतीलोक पर क्यों लड़ते सब, हमारे आपके नाम से
इसका उत्तर देने को, दोनों एक साथ ही बोले
गन्दी राजनीति को आइना दिखाने को, भगवन ने मुँह खोले
हम तो एक ही है, बस नाम अलग, हमही राम रहमाना है
सभी मानव है भाई भाई, लेकिन यह मर्म कोई नहीं जाना है
चलिए अब एक रूप धरकर दोनों, धरती से घूम आया जाय
भेद नहीं कछु दोनों में है, सबको यह बतलाया जाय
उज्ज्वल कुमार सिंह
हिंदी विभाग
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
भगवन जरा धरती पर झांकिए, कम्युनिकेशन कितना फ़ास्ट हैं
इंद्र बोले चित्रगुप्त जी आपने, बात पते की बोली है
पहली बार देव् हित में, मुँह आपने खोली हैं
तुरन्त बुलाइये नारद को, धरती पर पेठाया जाय
अपने काम के ख़ातिर, दो-चार मोबाइल मंगाया जाय
नारद पहुँचे झाल बजाते, भगवन आपने बुलाया है
कहिये क्या परेशानी है, हमको याद फरमाया है
सुनिए नारद जी धरतीलोक में, मोबाइल का उपयोग है
हम सन्देश आपसे भेजते, उधर जीमेल का प्रयोग है
फटाफट जाइये, मोबाइल लाइये, सिम लाइयेगा साथ में
टावर पकड़ाने ख़ातिर, एक दो ठो टावर उखाड़े लाइएगा हाथ में
नारद आये मोबाइल खरीदे, लगे सिम की लाइन में
आधार कार्ड बनवाये नहीं है, काम चला ल चचा साइन से
दुकानदार पक्का भक्त था, नारद को पहचान गया
सिम देने के बदले में, पर सिम एक वरदान माँग गया
लफड़ा मोल नहीं लेना था, झटपट नारद मान गए
सिम के बदले स्वर्ग ले जाने का, दुकानदार से ठान गए
टावर उखाड़ कर चल दिये, इंद्रपुरी की ओर
टावर से लिपटा प्रेमी, दौड़ा नारद की ओर
कौन हो, क्या करें हो, यह टावर कहाँ ले जाओगे
अपनी रामकली से कैसे चैट करूँगा, हमको जरा बतलाओगे
रामकली हो कृष्णकली, अब दूसरे टावर के पास से बतियाना तुम
उठा के पटक दूँगा, कदम अगर उठा के हमरे तरफ बढ़ाया तुम
डरकर भगा, प्रेमी बेचारा दूसरे टावर पर लटका है
रामकली, मोहन की हो ली, अजब-गजब का फ़टका है
खैर टावर लग गया, सिम सेट हुआ, इंद्रपुरी में खुशियाँ छाई
अभी अम्बानी को यह बात धीरे से, कान में किसी ने बतलाई
जिओ लेकर दौड़ा अम्बानी, खास ऑफर के साथ
399 में 84 gb मुफ्त के संग, अनलिमिटेड कीजिये बात
ऑफर सस्ता देख इंद्र ने फौरन, सारे सिम बदलवाई
तो इस तरह से अम्बानी ने जिओ, इंद्रपुरी तक पहुँचाई
नम्बर को लेकर हुआ झमेला, सबको न० खास चाहिए
एक हजार आठ न० पर बात बनी, सबको कोड पास चाहिए
इंद्र के लिए एक दबाए, दो न० पर माता लक्ष्मी है
तीन पर ब्रह्मा बात करेंगे, चार पर सरस्वती है
पाँच विष्णु, छः चित्रगुप्त, सात पर बाबा भोले है
आठ पर रहेंगी दुर्गा माई, नौ न० वाले नारद बाबा बोले है
एक दिन बैठे बैठे राम ने, फोन किया बजरंगबली को
न० गलती से दब गया उल्टा, लग गया मौला अली को
खैर दोनों ने कुशल क्षेम पूछ, खूब ठाठे लगाए
अंत में बात करते करते दोनों, मुद्दे की बात पर आए
आपको बैर न मुझसे है, मुझको बैर न आपके नाम से
फिर धरतीलोक पर क्यों लड़ते सब, हमारे आपके नाम से
इसका उत्तर देने को, दोनों एक साथ ही बोले
गन्दी राजनीति को आइना दिखाने को, भगवन ने मुँह खोले
हम तो एक ही है, बस नाम अलग, हमही राम रहमाना है
सभी मानव है भाई भाई, लेकिन यह मर्म कोई नहीं जाना है
चलिए अब एक रूप धरकर दोनों, धरती से घूम आया जाय
भेद नहीं कछु दोनों में है, सबको यह बतलाया जाय
उज्ज्वल कुमार सिंह
हिंदी विभाग
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
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