जिंदगी कितना कुछ सिखाती है, और बिना कुछ बताए कितना कुछ समझने के लिए छोड़ जाती हैं । इन्हीं सब से रूबरू कराने के लिए एक कहानी आपके बीच रख रहा हूँ । आपके प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ।
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भाग 1
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आज क्या है, रवि बहुत खुश नजर आ रहा है, क्योंकि जिस विषय में वह पढ़ने में सबसे कमजोर होता हैं, उसके घरवाले उसके लिए घर से कुछ ही फर्लांग की दूरी पर कोचिंग जाने की अनुमति प्रदान कर दी है । रवि कुमार की गिनती चंद दिनों में ही क्लास के सबसे होनहार छात्रों में होने लगती हैं । जब भी कोई लड़का अपने से आगे वाले से आगे निकलता है तो जलन होना स्वाभाविक हो जाती हैं और उसके बाद शुरू हो जाती है संघर्ष का दौर । कोचिंग से निकलने पर कभी साईकल पंचर तो कभी हवा निकला देखना तो अब एकदम नॉर्मल बात हैं । आज कुछ महीने दिन ही बीतें होंगे कि क्लास के लगभग सभी लड़के रवि को एक आशंकित नजर से देख रहे हैं, और सारी लड़कियों के बीच रवि से दोस्ती करने की होड़ सी मच जाती हैं । बात ही है कि वह दोस्तों से घण्टों अपने पढ़े किताबों पर बहस करना और दोस्तों के समस्या को सुलझाना रवि को पसन्द हैं, मगर कोई लड़का उसे अपना दोस्त बनाने को तैयार नहीं । और एक तरफ रवि जो लड़कियों से दूर रहने की कसम खाई है या यूं कहें शर्म के मारे उनसे बात करने की हिम्मत नहीं हैं रवि में । तरह तरह के षड़यंत्र और दुष्प्रचार का शिकार रवि को घुटन सी महसूस होती है, परन्तु वह केवल अपने अध्ययन पर नजर रखता हैं, जैसे अध्ययन के अलावा बाकी दुनिया उसके लिए बनी ही नहीं हैं । साथ में हो रहे षडयंत्र से बेखबर रवि बस अपने में मग्न रहता, जिसे देख बाकी के लड़के लड़कियाँ घमंडी, मतलबी, और न जाने कितने उपमानों से सम्बोधित करते हैं, परन्तु इसकी कोई परवाह नहीं । वह तो हमेशा अपने धुन में रहता और हमेशा पढाई पर ध्यान देता ।
आज रितिक बहुत हिम्मत कर के रवि के पास आकर कहता है, भाई तू क्यों इतना सब से अलग रहते हो । यार हमलोग से मिल जुल के रहा कर । आखिर हम भी तुम्हारे तरह लड़के ही है । उसी ने आज रवि को यह बताया कि तुम्हारे दोस्ती न करने के कारण प्रीति बहुत उदास रहती है । कभी सोचा है उसके बारे में । वह लड़की जो किसी के तरफ देखती तक नहीं, वह तुमसे दोस्ती करना चाहती है और तुम हो कि उसको जरा भी भाव न दे रहे हो । सुनों, जीवन दोस्ती के बिना अधूरी होती है, और चल ठीक है, तुम हमलोग से दोस्ती मत करो, हमलोग अपने बुरी आदतों में शामिल कर लेंगे । लेकिन उसमें क्या बुराई है, वह तो पढ़ने में भी ठीक ठाक है ।
रवि :- भाई, मुझे तो किसी से दोस्ती ही नहीं करनी । हाँ, जिसको पढ़ना है वह मुझसे वार्तालाप करे, उससे मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन कोई लड़की मेरी दोस्त नहीं बन सकती ।
रितिक :- भाई, दोस्ती करने में क्या जाता है । तुमसे केवल दोस्ती ही कर रही है न, शादी थोड़े कर रही ।
रवि :- भाई, मुझे लड़कियों से बहुत डर लगता हैं । मेरे घर वाले जानेंगे तो मुझे बहुत मार लगेगी । मैं नहीं कर सकता ।
रितिक :- यार, बात समझो, तुम्हारे ना कहने से बेचारी टूट गई हैं । अगर कुछ गलत कदम उठाएगी ऐसे में तो फँस जाओगे ।
रवि :- लेकिन........
रितिक :- लेकिन- वेकिन कुछ नहीं । चुपचाप दोस्ती करो ।
रवि :- यार, जबर्दस्ती दोस्ती थोड़े होती हैं ?
रितिक :- तुम नहीं चाहते न, वह तो चाहती हैं न । कुछ दिन में तुम भी एडजस्ट हो जाओगे ।
रवि :- मेरे घर वाले जानेंगे तो, मैं बहुत मार खाऊंगा ।
रितिक :- कोई बतायेगा ही नहीं ।
रवि उदास मन से ही दोस्ती के लिए हामी भर देता हैं और दोनों दोस्ती के बंधन में बंध कर सबसे पहला सवाल करते हैं ।
रवि :- कहाँ से आती हो ?
प्रीति :- होशियारपुर से , और तुम ...?
रवि :- मैं बगल के ही गाँव से...
प्रीति :- अरे, गाँव का नाम तो बताओ ।
रवि :- पीताम्बरपुर से....
प्रीति :- क्या तुम मुझे सामाजिक विज्ञान पढ़ा दोगे ।
रवि :- ठीक है, क्लास से पहले आ जाना , मैं भी घर पर एक्स्ट्रा क्लास बताकर आ जाऊँगा ।
प्रीति :- अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ ।
रवि :- हाँ, बोलो ....।
प्रीति :- आने से पहले मेरे न० पर कॉल कर देना, मैं आ जाऊँगी, फिर जिन बाबा के पास मिलेंगे, फिर साथ आया जाएगा ।
रवि :- मेरे पास फोन नहीं, और घर के फोन से मैं कॉल नहीं कर सकता । वरना पता चल जाएगा तो बहुत मार लगेगी मुझे ।
प्रीति :- कोई बात नहीं, टाइम बता दो, मैं जिन बाबा के पास तुम्हारा इंतजार करूँगी ।
रवि :- तुम चली आना न, 10 कदम तो है जिन बाबा से कोचिंग की दूरी । मैं अकेले आ जाऊँगा ।
प्रीति :- प्लीज् .....
रवि :- नहीं, कोई साथ में देख लेगा तो खामख्वाह बवाल होगा । इससे अच्छा होगा यहीं आना ।
प्रीति रुआँसा मुँह कर के हाँ, बोलती हैं और इस तरह दोनों आज से दोस्त बन गए ।
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भाग 1
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जिंदगी और मौत के बीच फासले इतने कम होते है कि मनुष्य की एक गलती से किसी की जान जा सकती हैं, या वह जिंदगी भर के लिए मानसिक विकलांग हो सकता हैं । आज की युवा पीढ़ी पता नहीं किस ढंग से जीना चाहती हैं, जहाँ इंसान की कीमत दूसरे के लिए नगण्य हैं । विज्ञान के तरक़्क़ी के साथ साथ जब कोई भी लड़का या लड़की जवानी की दहलीज पर पहुँचते हैं तब एक दूसरे के लिए आकर्षण होना स्वाभाविक हैं । नई पीढ़ी को जो सबसे ज्यादा जो चीज नपुंसकता (अमानवीयता) के तरफ जो चीज धकेल रही हैं वह है इश्क़ । जी हाँ, इश्क़ । जितना पवित्र यह शब्द हैं, उतना पवित्र अब यह हैं नहीं । मानवीय संवेदनाओं का गला घोंटकर अब इश्क़ को या तो वासना का एक साधन मात्र बना दिया गया हैं, या उसे केवल शब्द तक के लिए सीमित कर के छोड़ दिया गया है । वासना हमारे जीवन में आवश्यक तो है, परन्तु प्रकृति और हमारे समाज ने सबके लिए उचित समय का निर्धारण कर रखा हैं ।
किशोरावस्था में मानव शरीर में होते बदलाव के साथ साथ जो उत्तेजना पैदा होती हैं, उसे सम्भाल पाना सबके बस की बात नहीं होती और यहीं से शुरुआत होती हैं, एक आदत की जो मोहब्बत जैसे पाक शब्द को अपमानित करता है, और उसे शर्मसार करता है । यह कहानी हैं, किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखने वाले रवि की, जिसकी परवरिश कुछ इस प्रकार हुई हैं कि, लड़की नाम सुनते ही रवि के पसीने छूटने लगते हैं, और बेचारा अपने काम से मतलब रखने वाला, अपना काम छोड़कर भी उनके परछाई से भी दूर रहता है ।आज क्या है, रवि बहुत खुश नजर आ रहा है, क्योंकि जिस विषय में वह पढ़ने में सबसे कमजोर होता हैं, उसके घरवाले उसके लिए घर से कुछ ही फर्लांग की दूरी पर कोचिंग जाने की अनुमति प्रदान कर दी है । रवि कुमार की गिनती चंद दिनों में ही क्लास के सबसे होनहार छात्रों में होने लगती हैं । जब भी कोई लड़का अपने से आगे वाले से आगे निकलता है तो जलन होना स्वाभाविक हो जाती हैं और उसके बाद शुरू हो जाती है संघर्ष का दौर । कोचिंग से निकलने पर कभी साईकल पंचर तो कभी हवा निकला देखना तो अब एकदम नॉर्मल बात हैं । आज कुछ महीने दिन ही बीतें होंगे कि क्लास के लगभग सभी लड़के रवि को एक आशंकित नजर से देख रहे हैं, और सारी लड़कियों के बीच रवि से दोस्ती करने की होड़ सी मच जाती हैं । बात ही है कि वह दोस्तों से घण्टों अपने पढ़े किताबों पर बहस करना और दोस्तों के समस्या को सुलझाना रवि को पसन्द हैं, मगर कोई लड़का उसे अपना दोस्त बनाने को तैयार नहीं । और एक तरफ रवि जो लड़कियों से दूर रहने की कसम खाई है या यूं कहें शर्म के मारे उनसे बात करने की हिम्मत नहीं हैं रवि में । तरह तरह के षड़यंत्र और दुष्प्रचार का शिकार रवि को घुटन सी महसूस होती है, परन्तु वह केवल अपने अध्ययन पर नजर रखता हैं, जैसे अध्ययन के अलावा बाकी दुनिया उसके लिए बनी ही नहीं हैं । साथ में हो रहे षडयंत्र से बेखबर रवि बस अपने में मग्न रहता, जिसे देख बाकी के लड़के लड़कियाँ घमंडी, मतलबी, और न जाने कितने उपमानों से सम्बोधित करते हैं, परन्तु इसकी कोई परवाह नहीं । वह तो हमेशा अपने धुन में रहता और हमेशा पढाई पर ध्यान देता ।
आज रितिक बहुत हिम्मत कर के रवि के पास आकर कहता है, भाई तू क्यों इतना सब से अलग रहते हो । यार हमलोग से मिल जुल के रहा कर । आखिर हम भी तुम्हारे तरह लड़के ही है । उसी ने आज रवि को यह बताया कि तुम्हारे दोस्ती न करने के कारण प्रीति बहुत उदास रहती है । कभी सोचा है उसके बारे में । वह लड़की जो किसी के तरफ देखती तक नहीं, वह तुमसे दोस्ती करना चाहती है और तुम हो कि उसको जरा भी भाव न दे रहे हो । सुनों, जीवन दोस्ती के बिना अधूरी होती है, और चल ठीक है, तुम हमलोग से दोस्ती मत करो, हमलोग अपने बुरी आदतों में शामिल कर लेंगे । लेकिन उसमें क्या बुराई है, वह तो पढ़ने में भी ठीक ठाक है ।
रवि :- भाई, मुझे तो किसी से दोस्ती ही नहीं करनी । हाँ, जिसको पढ़ना है वह मुझसे वार्तालाप करे, उससे मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन कोई लड़की मेरी दोस्त नहीं बन सकती ।
रितिक :- भाई, दोस्ती करने में क्या जाता है । तुमसे केवल दोस्ती ही कर रही है न, शादी थोड़े कर रही ।
रवि :- भाई, मुझे लड़कियों से बहुत डर लगता हैं । मेरे घर वाले जानेंगे तो मुझे बहुत मार लगेगी । मैं नहीं कर सकता ।
रितिक :- यार, बात समझो, तुम्हारे ना कहने से बेचारी टूट गई हैं । अगर कुछ गलत कदम उठाएगी ऐसे में तो फँस जाओगे ।
रवि :- लेकिन........
रितिक :- लेकिन- वेकिन कुछ नहीं । चुपचाप दोस्ती करो ।
रवि :- यार, जबर्दस्ती दोस्ती थोड़े होती हैं ?
रितिक :- तुम नहीं चाहते न, वह तो चाहती हैं न । कुछ दिन में तुम भी एडजस्ट हो जाओगे ।
रवि :- मेरे घर वाले जानेंगे तो, मैं बहुत मार खाऊंगा ।
रितिक :- कोई बतायेगा ही नहीं ।
रवि उदास मन से ही दोस्ती के लिए हामी भर देता हैं और दोनों दोस्ती के बंधन में बंध कर सबसे पहला सवाल करते हैं ।
रवि :- कहाँ से आती हो ?
प्रीति :- होशियारपुर से , और तुम ...?
रवि :- मैं बगल के ही गाँव से...
प्रीति :- अरे, गाँव का नाम तो बताओ ।
रवि :- पीताम्बरपुर से....
प्रीति :- क्या तुम मुझे सामाजिक विज्ञान पढ़ा दोगे ।
रवि :- ठीक है, क्लास से पहले आ जाना , मैं भी घर पर एक्स्ट्रा क्लास बताकर आ जाऊँगा ।
प्रीति :- अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ ।
रवि :- हाँ, बोलो ....।
प्रीति :- आने से पहले मेरे न० पर कॉल कर देना, मैं आ जाऊँगी, फिर जिन बाबा के पास मिलेंगे, फिर साथ आया जाएगा ।
रवि :- मेरे पास फोन नहीं, और घर के फोन से मैं कॉल नहीं कर सकता । वरना पता चल जाएगा तो बहुत मार लगेगी मुझे ।
प्रीति :- कोई बात नहीं, टाइम बता दो, मैं जिन बाबा के पास तुम्हारा इंतजार करूँगी ।
रवि :- तुम चली आना न, 10 कदम तो है जिन बाबा से कोचिंग की दूरी । मैं अकेले आ जाऊँगा ।
प्रीति :- प्लीज् .....
रवि :- नहीं, कोई साथ में देख लेगा तो खामख्वाह बवाल होगा । इससे अच्छा होगा यहीं आना ।
प्रीति रुआँसा मुँह कर के हाँ, बोलती हैं और इस तरह दोनों आज से दोस्त बन गए ।
बहुत रोचक लगा😃
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