भारत में आजादी क्रांति की
अलख जगाने वाले को
नमन आज करता हूँ मैं अपने
वीर सेनानी को
नाम हैं जिसका खुदीराम बोस
अंग्रेजो का उड़ाया जो होश
कर के नारे, आजादी के बुलन्द
श्वास देश के लिए हुए जो बन्द
आज ओ पावस घड़ी है आई
सबकी आँखे नम हो आई
हो गए जो बलि बेदी पर होम
बना होगा पत्थर हृदय भी मोम
बढ़ाया निज चमन का मान
तोड़ा अंग्रेजों का अभिमान
चमकाया जिसने ये चमन
उज्ज्वल करता है आज उन्हें नमन
उज्ज्वल कुमार सिंह
हिन्दी विभाग
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1956725361235774&id=100006949862921
अलख जगाने वाले को
नमन आज करता हूँ मैं अपने
वीर सेनानी को
नाम हैं जिसका खुदीराम बोस
अंग्रेजो का उड़ाया जो होश
कर के नारे, आजादी के बुलन्द
श्वास देश के लिए हुए जो बन्द
आज ओ पावस घड़ी है आई
सबकी आँखे नम हो आई
हो गए जो बलि बेदी पर होम
बना होगा पत्थर हृदय भी मोम
बढ़ाया निज चमन का मान
तोड़ा अंग्रेजों का अभिमान
चमकाया जिसने ये चमन
उज्ज्वल करता है आज उन्हें नमन
उज्ज्वल कुमार सिंह
हिन्दी विभाग
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
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