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Showing posts from August, 2018

ईदगाह

ईदगाह एक ऐसा नाम जो सुनते ही बचपन की उस याद को ताजा कर देती है जो हम ईद के मेले से 25 पैसे ही बाँसुरी और 10 आने की जलेबी लेकर शान से अकड़ते आते थे कि आज के बादशाह हम ।         लेकिन जब थोड़े बड़े हुए तो सबसे पहली बार कक्षा 2 में ईदगाह कहानी पढ़ने को मिली । तब हमें कहानी से मतलब होती थी, लेखक कौन हमें इसकी बिल्कुल भी इल्म नहीं होती या अगर हम यूँ कहें तो हमें उस समय इससे कोई लेना देना नहीं होता था, हमें तो बस कहानियाँ अच्छी लगती थी । जब थोड़े बड़े हुए तो पता चला यह कहानी तो कलम के जादूगर और हिंदी जगत (हिंदुस्तानी तहज़ीब) के उस सितारे की है जिसने हमें होरी के गोदान से लेकर घीसू और माधव के कफ़न से इस दुनिया को परिचय कराया । प्रेमचंद उस नगीने का नाम हैं जिसकी सेवासदन आज भी हमें आईना दिखाती हैं कि देखो तुम किस समाज में रह रहे हो, और किस तरह तुम्हारे ही कारण ये सेवासदन हैं ।          चलिए ईदगाह कहानी पर आते हैं, यह एक ऐसी कहानी है कि एक एक शब्द से ऐसा लगता हैं कि किरदार बस किताब से बाहर निकलने ही वाला है । कहानी में समाज के चित्रण के साथ साथ उस समय के ...