परसों दोपहर में मैं फैक्लटी पहुँचा चुकी मन तो नहीं था लेकिन परीक्षा की वजह से जाना पड़ा, एक मित्र मिले मुझे कुशल क्षेम पूछे, मैं भी लगे हाथ उनसे भी पूछ लिया । उसके बाद बोले मिलते है गुरु परीक्षा के बाद । हम भी हामी भर दिए, उसके बाद मैं परीक्षा खत्म कर के एक दोस्त के जन्मदिन की भव्य पार्टी में शिरकत करने के बाद, उस महानुभाव को कॉल किया कि आखिर क्या बात करनी थी उन्हें मुझसे ? कॉल उठाते बोले :- हेलो मैं :- हाँ भाई राम राम पीयूष (बदला हुआ नाम) :- महादेव मैं :- तब मिले के बोलले रहुव पीयूष :- ह आव भीटी मैं :- चल 5 मिनट में आव तानी मैं पहुचाँ वहाँ, ओ वहाँ पहले से ही किसी के साथ चाय और समोसे के चटकारे के साथ इश्क लड़ा रहे थे । मैं पहले तो सोचा चला जाता हूँ जब ये बुलाये ही है तो, लेकिन फिर झेंप गया । आखिर में फिर से कॉल किया उन्होंने बुला लिया । मेरा परिचय कराया अपनी महबूब सनम से पीयूष :- रागिनी (बदला हुआ नाम ), ये मेरे फायर ब्रिगेड उज्ज्वल भाई पीयूष :- और उज्ज्वल, ये मेरी माशूका रागिनी मैं बोला :- नमस्ते उन्होंने हाथ आगे बढ़ा दिए, मैं भी हाथ मिलाकर हेलो बोला रागिनी :- क्...