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Showing posts from September, 2017
मुझे मिल गई मेरी सपनों की रानी क्या मैं सुनाऊ अपनी कहानी जब से मेरी उस से नैन मिली हैं मेरे दिल के अंदर, खुशियां खिली है प्यासे हृदय को मिली, शीतल पानी मुझे मिल गई मेरी सपनों की रानी -2 उसके कपोलों का दीवाना हुआ हूँ की ऐसी जादू, उसकी परवाना हुआ हूँ चेहरा है चंद्रमुखी, पाँव में जो पायल छनक-छनक मुझको करे तो घायल मेरी महबूबा है, बहुत सयानी मुझे मिल गई मेरी सपनों की रानी -2 उर जिसका निर्मल है, कटी है निराली मेरे मन को मोहे, अधरों की लाली नैन है जिसकी, मृग जैसा चंचल मुझको समेटे है , उसके दिल के अंचल कैसे बताऊ मैं अपने प्यार की कहानी मुझे मिल गई मेरी सपनों की रानी -2 झुल्फों की साया में, मैं ठहर जाऊ जहाँ भी मैं जाऊ, केवल उसी को मैं पाऊ सपनों में, यादों में , मेरे ख्यालों में समाई हर जगह देखता हूँ, तेरी परछाई प्यार उसका दान है, ओ सबसे बड़ी दानी मुझे मिल गई मेरी सपनों की रानी                                 उज्ज्वल कुमार सिंह                  ...

कैसे जश्न मनाऊ मैं

मन तो मेरा क्रुद्ध रहता है, क्या झुमु नाचूँ गाउ मैं आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं बच्चे आज भी भूखे मरते, है जहाँ की धरती पर संविधान मरा पड़ा है, लोकतंत्र हैं अर्थी पर कभी कभी गर्वित होता हूँ, अपने देश की थाती पर आस्तीन के सांप लेटे है, लालकिले की छाती पर मंहगाई की मार पड़ी है, भरपेट कहाँ से खाऊ मैं आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं कोई हमारे सैनिक पर , रोज पत्थर बरसाता है जानवरों का चारा भी, नेता चट कर जाता है रक्षक खोये खोये रहते है, पाक चीन की बॉर्डर पर पता ना ख़ामोश क्यों रहते हैं, किस नेता की आर्डर पर इन सब मौसम में , बसंती हवा कहाँ से लाउ मैं आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं हमारे युवा भागते रहते है, कुछ सुंदरियों के पीछे क्या इसी के खातिर, आजाद आज़ादी को सींचे एक इंकलाब के खातिर, भगत सिंह थे फाँसी झूल गए आज हम सलमान के आगे, खुदी राम को भूल गए ऐसी जज्बातों के संग, अब कहाँ को जाउ मैं आजादी के 70 वर्षों का, कैसे जश्न मनाऊ मैं                                 ...